मधुमेह एक ऐसा रोग है जिसमें हमारा शरीर रक्त में उपस्थित शर्करा की मात्रा को नियंत्रित नहीं कर पाता है। यह इंसुलिन हार्मोंन की वजह से होता है।इंसुलिन हार्मोंन हमारे शरीर में मौजूद रक्त शर्करा को नियंत्रित करने का कार्य करती हैं।
प्रकार –
1. टाइप 1 मधुमेह –
यह बहुत कम होता है (10% मामलों में)। इस समस्या में, हमारा शरीर बहुत कम या बिल्कुल भी इंसुलिन नहीं बना पाता हैं। ऐसा इसलिए होता हैं क्योंकि अग्नाशय की कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हों जाती हैं।
2. टाइप 2 मधुमेह –
यह बहुत ज्यादा होता है (90% से अधिक मामलों में)। इस समस्या में, हमारा शरीर इंसुलिन हार्मोंन का सही से उपयोग नहीं कर पाता है।
3. गर्भावस्था मधुमेह –
यह गर्भावस्था के समय उस गर्भवती महिला में विकसित होता है (पहले मधुमेह मौजूद नही था)।
कारण –
- इंसुलिन प्रतिरोध होने से (जो मोटापे से, शारीरिक गतिविधि कम करने से, भोजन से, हार्मोनल समस्या से, आनुवांशिकी और कुछ दवाओं से होता हैं)।
- स्वप्रतिरक्षी रोग होने से (इस रोग में इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं पर हमला किया जाता है)
- हार्मोनल असंतुलन होने से
- अग्नाशय में क्षति होने से (जो किसी समस्या, सर्जरी या चोट की वजह से हो सकती है)
- आनुवंशिक परिवर्तन होने से।
लक्षण –
- स्पष्ट दिखाई नहीं देना
- ज्यादा प्यास लगना
- ज्यादा भूख लगना
- बार बार पेशाब आना
- थकान महसूस होना
- वजन कम होना
- घाव का धीरे धीरे भरना।
नुकसान –
- हृदय और रक्त वाहिका रोग – दिल का दौरा, स्ट्रोक और अन्य समस्याएं होना (मधुमेह की समस्या में रक्त चाप और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित कर पाना मुश्किल हो जाता है)
- मधुमेह न्यूरोपैथी – दर्द, झुनझुनी और सुन्नता होना (मधुमेह की समस्या में शरीर की नसे क्षतिग्रस्त हो जाती है)
- डायबिटिक नेफ्रोपैथी (मधुमेह की समस्या में, किडनी के ग्लोमेरुली को नुकसान होता है)
- डायबिटिक रेटिनोपैथी (मधुमेह की समस्या में, आंखों की रक्त वाहिकाओं को नुकसान होता है)
- मधुमेह की वजह से प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाता है और इससे बार बार हमारा संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है।
- गर्भावस्था मधुमेह की समस्या से – अत्यधिक वृद्धि होना (शिशु में), प्रिक्लैंपसिया (माता में)।
निदान –
– A1C परीक्षण से
- 6.5% या उससे ज्यादा आना (मधुमेह)
- 5.7% से 6.4% के बीच आना (प्रीडायबिटीज़)
- 5.7% से कम आना (सामान्य)।
– रैंडम ब्लड शुगर से (RBS)
- 201 mg/dL या उससे ज्यादा आना (मधुमेह)
उपवास रक्त शर्करा परीक्षण से (FBS)
- 100 mg/dL से कम आना (सामान्य)
- 100 से 125 mg/dL के बीच आना (प्रीडायबीटीज)
- 126 mg/dL या उससे ज्यादा आना (मधुमेह)
ग्लूकोज सहनशीलता परीक्षण से (GTT)
- 2 घंटे बाद, 140 mg/dL से कम आना (सामान्य)
- 140 से 199 mg/dL के बीच आना (प्रीडायबीटीज)
- 200 mg/dL से ज्यादा आना (मधुमेह)
ईलाज –
- साप्ताहिक रक्त शर्करा की जांच करना
- मौखिक मधुमेह की दवाएं देना (मेटफॉर्मिन)
- इंसुलिन दवा देना
- व्यायाम करना (इससे इंसुलिन संवेदनशीलता बढ़ती है)
- अपने वजन को नियंत्रित रखना
- तनाव का प्रबंधन करना
- शराब पीना बंद करना
- पर्याप्त मात्रा में नींद लेना
- धूम्रपान को छोड़ देना
- स्वस्थ भोजन खाना (ज्यादा मात्रा में फल, सब्जियां, अनाज को खाएं तथा संतृप्त वसा और कैलोरी को कम खाएं)।
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